गजेंद्र सिंह शेखावत ने राहुल गांधी पर साधा निशाना , बोले- 'हाथी के दांत दिखाने के और, खाने के और होते हैं'
जोधपुरः केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी के दिए बयान पर पलटवार किया। इसके साथ ही उन्होनें महाकुंभ में किए गए आयोजन पर भी अपनी प्रतिक्रिया दी है। बता दें केंद्रीय मंत्री ने जोधपुर में प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित किया। इस बीच उन्होनें एक सवाल के जवाब में राहुल गांधी पर तंज कसा। उन्होनें ने कहा कि कांग्रेस की राजनीति और उनके नेतृत्व को लेकर अब वह बेनकाब हो चुके हैं। हिंदी में कहावत है कि ‘हाथी के दांत दिखाने के और, खाने के और होते हैं’। उनका चाल चरित्र और चेहरा सबके सामने आ चुका है। 1954 की भगदड़ की घटना को तत्कालीन सरकार के दबाने के सवाल पर गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा कि 1954 की ही एक घटना नहीं है।
बता दें आजादी के बाद से इमरजेंसी से लेकर 2014 तक इस पर ग्रंथ लिखे जा सकते हैं कि उन्होंने लोकतंत्र की कैसे हत्या की। इसके अलावा उन्होंने महाकुंभ के भव्य आयोजन को लेकर देशवासियों को बधाई थी। साथ ही कहा कि महाकुंभ जैसे बड़े आयोजन में जिस तरह से व्यवस्थाएं की गई हैं, यह केस स्टडी की तरह आवश्यक है। 45 दिन के इस महाकुंभ के आयोजन में 45 करोड़ से ज्यादा लोग आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि पहले दिन पूर्णिमा और बाद में मकर संक्रांति के दिन, लगभग इन दो दिनों में पांच करोड़ लोगों ने महाकुंभ में स्नान किया है, लेकिन इसके साथ-साथ लगभग 15 लाख लोग महाकुंभ में पूरे 45 दिन तक रह करके कल्पवास कर रहे हैं। लगभग इतनी ही बड़ी संख्या साधुओं की है, जो पूरे 45 दिन तक लगभग यहां रहने वाले हैं। लगभग 15 लाख लोग ऐसे हैं जो सफाई कर्मचारी के रूप में विभिन्न व्यवस्थाओं को देख रहे हैं। उन्होंने बताया कि लगभग 50 लाख लोग महाकुंभ में स्थाई रूप से निवास कर रहे हैं।
वहीं बाकी लोग आते हैं और स्नान करके चले जाते हैं। महाकुंभ का आयोजन उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में जिस तरह से किया गया है वो निश्चित रूप से अनूठा है। गजेंद्र सिंह शेखावत ने आजादी के बाद पहले कुंभ का जिक्र करते हुए विपक्ष पर हमला बोला है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि इससे पहले 2013 में कुंभ में भगदड़ मची थी और उस समय की तत्कालीन सरकार ने असंवेदनशीलता के साथ व्यवहार किया था। आजादी के बाद में जब पहले कुंभ का आयोजन किया गया था, उस समय के कुंभ की व्यवस्थाओं को देखें तो तत्कालीन सरकार कुंभ की व्यवस्थाओं को लेकर किस तरह से उदासीन थी। नेहरू जी के कुंभ में जाने के कारण लोगों ने लिखित रूप से रिपोर्ट किया है कि कुंभ में भगदड़ मची थी, जिसमें 1000 से ज्यादा लोग दिवंगत हुए थे। वहीं आज की सरकार हमारी विरासत और संस्कृति का संरक्षण करने वाली सरकार है। निश्चित रूप से इस बार के महाकुंभ की व्यवस्थाएं पहले से बहुत अच्छी और बेहतर हैं।