भोपाल गैस त्रासदी के 40 साल हुए पूरे, आज भी कांप उठती हैं रूह
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भोपाल : आज भोपाल गैस त्रासदी को 40 साल पूरे हो चुके हैं। आज भी अगर उस दिन को याद किया जाता है तो, लोगों की रूह कांप जाती है। दरअसल शहर में मिथाइल आइसोसाइनेट नाम के जहर के फैल जाने से तबाही का मंजर देखने को मिला था। सांस लेना भी जैसे गुनाह साबित हो चुका था। इस जहरीली हवा की चपेट में लगभग 5 लाख से अधिक आबादी आई थी। दरअसल इस जहर के हवा में घुल जाने से हर तरफ लोगों की सांस घुटने लगी थी। जिसके चलते लोग गलियों में, सड़कों पर इधर-उधर भागते हुए दिखाई दे रहे थे।
काली रात क्या होती है, यह भोपाल के उन लोगों से पूछो-जिन्होंने अपनों को खोया। सपनों को चकनाचूर होते देखा। जिनकी रौशन जिंदगी में हमेशा के लिए अंधेरा छा गया। उस रात मौत तांडव कर रही थी। चीख-पुकार मची थी। उस रात भोपाल में सिर्फ लोग नहीं मरे थे, इंसानियत और ममता भी मर गई थी। मां बच्चों को और बच्चे बूढ़े मां-बाप को छोड़कर भाग रहे थे।
1984 में 2 दिसंबर और 3 दिसंबर की मध्यरात्रि भोपाल वालों के लिए दुनिया की सबसे स्याह काली रात थी। 40 साल बीत गए, लेकिन भोपाल गैस त्रासदी वाली रात को याद कर लोग अब भी सिहर जाते हैं। बात करते हुए फफक-फफक कर रो पड़ते हैं।
साल 1984 देश के लिए बड़ा ही मनहूस रहा था।
दरअसल 2 और 3 दिसंबर की आधी रात को यह हादसा हुआ था। आज भी वह दिन भोपाल के नागरिकों के लिए काली रात माना जाता है। आधी रात को शहर की हवा में मिथाइल आइसोसाइनेट नाम का जहर फैल गया। जानकारी के अनुसार यूनियन कार्बाइड के कारखाने के टैंकर नंबर 610 से लीक हो जाने के चलते यह गैस पूरे शहर में फैल गई। बता दें यह इतनी भयानक घटना थी कि आसपास के इलाकों में सो रहे लोग सोते ही रह गए। वहीं कुछ लोग गलियों में सड़कों पर भागते हुए दिखाई दिए। लेकिन जो भी इस जहर के चपेट में आया। वह अपनी जान गवा बैठा। जानकारी दे दें कि आधे घंटे बाद भोपाल शहर की हवा में यह जहर खत्म हुआ।