महिला कानूनों के दुरुपयोग के आरोप वाली याचिका खारिज:सुप्रीम कोर्ट बोला- ये मुद्दे संसद में जाकर उठाएं
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महिला-केंद्रित कानूनों पर सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई को ही खारिज कर दिया जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस के विनोद चंद्रन की बेंच ने याचिकाकर्ता से कहा कि आप संसद में जाकर इन सभी आधारों को उठा सकते हैं।
याचिकाकर्ता रूपशी सिंह ने कानूनों के दुरुपयोग का आरोप लगाया था, साथ ही मांग की थी- दहेज निषेध, घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण और भारतीय दंड संहिता में महिलाओं के प्रति क्रूरता से जुड़े प्रावधानों से पुरुषों को भी संरक्षण दिया जाए।
याचिका मेंकी गईं मांगें
याचिका में कानून में दुर्भावना, आरोपित प्रावधानों में निहित अतार्किकता और उनमें समानता न होने को उजागर किया गया है।
महिलाओं के झूठी शिकायतें दर्ज कराने और कानूनों के दुरुपयोग से पुरुषों पर होने वाले अत्याचारों से पुरुषों को संरक्षण देने की मांग की है।
दहेज निषेध अधिनियम 1961 धर्म के आधार पर भेदभाव करता है। घरेलू हिंसा अधिनियम 2005 के प्रावधान महिला-केंद्रित और पुरुषों के खिलाफ हैं।